ऐसे करें टमाटर की खेती होगा अधिक मुनाफ़ा

टमाटर की खेती ( Cultivation of Tomato)

टमाटर की खेती
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टमाटर एक फल है जो सब्ज़ी कि रूप में उपयोग किया जाता है टमाटर को protective food  मना जाता है इसको सोलेनसी परिवार का माना जाता  है इसका उत्पत्ति मेक्सिको में हुए थी,यह गर्म  जलवायु का पौधा है जो की पाले के  प्रति संवेदनशील है टमाटर विटामिन सी और ए का एक अच्छा स्रोत हैं वे फाइबर, पोटेशियम और लाइकोपीन का भी एक अच्छा स्रोत हैं लाइकोपीन एक एंटीऑक्सीडेंट है जो कुछ प्रकार के कैंसर से बचाने में मदद कर सकता है आईए जानते है टमाटर की खेती के मुख्य चरण।


जलवायु (Climate)

टमाटर की खेती के लिए  गर्म (Tropical) जलवायु की आवश्यकता होती है इसके लिए उपयुक्त तापमान 20-27° से माना जाता है यह तापमान 16° से कम और 27° से अधिक नहीं होना चाहिए।29°C तापमान पर लाल रंग नहीं बनता  है। और फल पीले रंग का हो  जाते है।


मृदा (Soil)

टमाटर की खेती के लिए वैसे तो सभी मिट्टी में लगाया जाता है लेकिन इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी  खेती के लिए आदर्श  मानी जाती है जिसका  पी एच 6-7  हो यह मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर और अच्छी जल निकासी वाली होनी  चाहिए।


क़िस्म (varieties)

पूसा रूबी ,पूसा 120, SL-120 , हिसार ललित , हिसार अनमोल , हिसार गौरव, पूसा शीतल, पूसा उपहार, पंत बहार, पूसा सदाबहार ।


बीज दर (Seed rate)

  • सामान्य किस्मों की बीज दर 400-500 g/h होती है।
  • हाइब्रिड किस्मों की बीज दर 125-175 g/h होती है।
  •  टमाटर की खेती में 1 हैक्टेयर फसल बुआई के लिए सामान्यत 250 वर्गमीटर नर्सरी क्षेत्रफल पर्याप्त होता है।
  • टमाटर में बीज बुआई के 4-5 सप्ताह बाद नर्सरी से खेत में शाम के समय पौधा रोपण करते हैं।

बुआई का समय (Sowing time)

  • उत्तरी मैदानों में  शरद। ऋतु और बसंत ऋतु में फसल ली जाती है।
  • दक्षिण मैदानी क्षेत्रों – 3 फसलें ली जाती हैं जो जून-जुलाई, अक्टूबर-नवंबर और जनवरी-फरवरी के दौरान ली जीत है।

सिंचाई (Irrigation)

टमाटर की खेती के लिए नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है पहली सिंचाई रोपण के समय करते है टमाटर में पानी 12-15  दिन का अंतराल में दिया जाता है फलन के समय लंबे समय तक सूखा रहने एवं अचानक भारी सिंचाई देने से फल फट जाते है।


उर्वरक (Fertilizer)

टमाटर में अच्छी तरह विघटित जैविक खाद या FYM 12-18 टन/हे. मिट्टी में मिलाया जाता है इसमें इष्टतम उपज प्राप्त करने कि लिए N:P:K की मात्रा 60:80:60 प्रति हेक्टेयर देते है।


पौध संरक्षण (Plant protection)

बीमारी (Diseases)

1. ब्लाइट (blight) : यह टमाटर की  मुख्य बीमारी है इसमें पौधा अचानक से झुलसा हुआ दिखाई देता है

नियंत्रण रोकथाम हेतु कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.3% छिड़काव करते है। तथा स्ट्रेप्टोसाइक्लीन (बैक्टीरीयामाइसीन) 0.1g/ली. पानी के हिसाब से छिड़काव करते है।

2. पत्ती कुंचन (Leaf Curl) :यह वाइरस जनित रोग है।इसका वाहक सफेद मक्खी है।

3. जड़ गलन/तना विगलन (Damping off) : राइजोक्टोनिया सोलेनाई द्वारा होता है। यह सभी सब्जियों का नर्सरी अवस्था में प्रमुख रोग है। नियंत्रण – मैन्कोजेब 0.3% द्वारा मृदा उपचार (Soil drenching) करते है।

4. सुत्रकृमी रोग : (मिलोयडोगाइन स्पेशिज) –

जैविक नियंत्रण – फफूंद जैसे- ट्राइकोड्रमा विरडि एंव पेसिलोमाइसेज लीलानस एंव जीवाणु जैसे- स्युडोमोनास पलूरोसेन्स को गोबर की खाद में डालकर किसी छायादार सीन  पर 7-15 दिन तक रखकर फसल को उपचारित करे ।

 कीट (Insect)

1.फल छेदक (Fruit borer)- हेलिकोवर्षो आरमीजेरा ,यह  टमाटर का प्रमुख कीट है। तथा फल में छेद करता है।

2. सफेद मक्खी (White flies)- बेमेसिया टेबेसाई ,पत्तियों से रस चूसती है। तथा टमाटर में पर्ण कुचंन रोग के वाहक का काम करती है।

दोनों कीटों की रोकथाम एसिफेट @ 2 ml/ली. पानी के घोल या इमिडाक्लोरपिड (कॉन्फिडोर 200 SL) का 0.03 ml/ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।


उपज (Yield)

टमाटर के पोधे 90-100 दिन में कटाई कि लिये तैयार हो जाते है टमाटर की उपज समान किस्मों में 350- 400 क्विंटल और हाइब्रिड किस्मों में 550-600 क्विंटल उपज प्राप्त होती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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