जैसा कि आप सभी लोग जानते ही की धान की खेती का मौसम आ गया है और सभी किसान अपने खेतों में धान की बुआई के लिये खेत की तैयारी शुरू कर दिये है ऐसे में किसान को बहुत से समस्या का सामना करना पड़ता है जिससे खेती करने में कठिनाई होती है और नर्सरी तैयार करने में अधिक समय लगता है जिससे धान की रोपाई में देरी होती है जिससे उत्पादन में बुरा प्रभाव पड़ता है
इस लिये इस ब्लॉग के माध्यम से आपको धान की बुआई का सही तारीक बनायेंगे जिससे आपकी उत्पादन में वृद्धि होगी और अधिक उत्पादन प्राप्त होगा
धान की खेती के चरण
जलवायु (Climate)
धान का पौधा नम जलवायु का पौधा है।इसकी खेती द्क्षिण भारत में बे मौसम की जाती है।लेकिन मध्य भारत में इसकी खेती मौसम पर आधारित होती है इसके लिए उपयुक्त तापमान 21-31 डिग्री सैल्सियस होना चाहिए।जिससे पौधे की वृद्धि अच्छी होती है।
मृदा (Soil)
धान की खेती के लिए चिकनी मिट्टी या दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है इन मिट्टी में जल धारण क्षमता अधिक (water holding capacity) होती है जिससे खेत में कीचड़ मचाने (puddling)में सहायता मिलती है धान के लिये अम्लीय मिट्टी अच्छी मानी जाती है जिसके लिये उपयुक्त PH 4-6 होना चाहिये।
क़िस्म (varieties)
भारत में धान की विभिन्न क़िस्म है लेकिन उनमे से कुछ ऐसे क़िस्म है जो की सर्वाधिक लोकप्रिय है जिनकी बाजारु क़ीमत किसानों को अच्छी प्राप्त होती है।जिसमे पूसा बासमती, जया, जगन्नाथ, पद्मा आदि किसको की खेती की जीत है जिसमे बासमती की खेती अधिक की जाती है।
बीज दर (Seed Rate)
धान की खेती में अलग-अलग विधि से बीजों की बुआई में अलग-अलग बीज लगती है जिसमे छिड़काव विधि में 100kg/ha और हाइब्रिड क़िस्म में 60-80kg/ha की दर से बीज लगते है।
नर्सरी एवं ख़त की तैयारी (Nursery & land preparation )
धान की खेती के लिए खेत की तैयारी करना और नर्सरी तैयार करना अधिक महत्वपूर्ण होता है जिससे फसल का उत्पादन जल्दी होता है इसलिए हमने “धान की नर्सरी तैयार करने की आसान विधि”इस ब्लॉग में पूरी जानकारी दी है जो की आपकी नर्सरी और खेती की तैयारी करने में सहायता करेगी।
उर्वरक (Fertilizer)
धान के पौधे की वृद्धि और उपज बढ़ाने के लिए खेतों में समय में और उचित मात्रा में उर्वरक देना आवश्यक है इसमें NPK 100:60:60 दिया जाता है पैडलिंग की अंतिम स्थिति में जिंक उर्वरक की मात्रा 20 kg/ha देना चाहिए।धान की नाइट्रोजन उपयोग क्षमता अधिक होती है लेकिन निक्षालन के कारण नाइट्रोजन की हानि होने की संभावना अधिक होती है जिससे नाइट्रोजन को अमोनिया सल्फ़ेट के रूप में देना चाहिये। इसमें जैविक उर्वरक जैसे ऐजोला,नील हरित शैवाल, एजेटोबेक्टर आदि का उपयोग के सकते है।
सिंचाई (Irrigation)
धान की खेती में जल मांग क्षमता अधिक होती है लेकिन इसका उपयोग बहुत कम होती है अर्थात् जल उपयोग क्षमता कम होती है धान के खेत में 6-7 cm पानी हमेशा भरा रहना चाहिए एवं धान की कटाई की 3 सप्ताह पहले खेत से पानी निकल देना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
खरपतवार नियंत्रण के लिए धान की प्रतिरोधी क़िस्म का उपयोग करना चाहिये खरपतवार नियंत्रण करने के लिए खेत में क्रॉस हाल चलाना चाहिए जिससे खरपतवार नष्ट हो जाते है एवं रसायन का उपयोग करना चाहिये चाहिए जिससे खरपतवार नष्ट हो जाते है।
धान की कटाई अक्टूबर और नबम्बर में की जाती है जब धान पूरी तरह परिपक्व हो जाये तो धान की कटाई कर लेना चाहिए।धान की कटाई धान की क़िस्म पर निर्भर करता है अलग-अलग किस्मों की कटाई अवधि अलग होता है।