धान के रोग एवं उनसे बचाव (Disease of rice)
धान की खेती का मौसम शुरू हो चुका है जिसमे किसान अपने खेतो में धान की बुआई शुरू कर दिये है।धान कि खेती करते समय या बुआई के बाद धान की फ़सलो में रोग या कीट की संभावना बढ़ने लगती है यह रोग विभिन्न प्रकार के होते है।जिससे धान की फसल में कमी और उत्पादकता में गिरावट होती है जिससे किसानों को हानि का सामना करना पड़ता है धान के रोग एवं उनसे बचाव के लिए विभिन्न रोग और उनके उपाय निम्न लिखित है।
धान का खैरा रोग (Khaira Disease of Rice)
धान की फसल की आम बीमारी है जो धान के खेत में अधिक जल भराव के कारण होती है खेत में अधिक जल भरने के कारण जिंक या जस्ते की कमी होने लगती है इस रोग के लक्षण धान की रोपाई के दो से तीन सप्ताह बाद देखाई देते है रोग के लक्षण में धान की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती है और पत्तियों के बाहरी तरफ़ भूरे रंग के धब्बे देखिए देते है।और पौधे की वृद्धि को बुरा प्रभाव पड़ता है।
उपाय (Management)
धान के खैरा रोग के प्रबंधन के लिए आप 5 किलोग्राम/ हैक्टीयर जिंक सल्फेट धारी उर्वरक का उपयोग करे एवं खेत में अधिक मात्रा में जल भराव को रोके जिससे रोग कि नियंत्रण किया जा सकता है।
धान का ब्लास्ट रोग (Blast Disease of Rice)
यह धान की मुख्य बीमारी है जो की कवक के माध्यम से फैलती है इसको Air burner disease के नाम से जाना जाता है इसके संक्रमण से पूरा पौधा जला हुआ देखाई देता है।ये हवा के साथ तेज़ी से फैलता है इसमें गठो के ऊपर के पौधे को प्रभावित करता है जिससे की पौधे काले और भूरे रंग के देखाई देते है और बीजों के उत्पादन में प्रभाव पड़ता है।
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उपाय (Management)
ब्लास्ट रोग के उपाय के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करे जिससे रोग का प्रभाव कम पड़े और बुआई से पहले बीजों का उपचार करे उसके बाद बीजों की बुआई करे। खेतों में मैनकोज़ेब उर्वरक का स्प्रे का उपयोग करे।
धान का पत्ती झुलसा रोग (Bacterial Leaf Blight of Rice )
यह रोग धान में जीवाणु के माध्यम से फैलता है इसमें पौधे की पत्तियाँ झुलस जाती है ये रोग नर्सरी अवस्था में पौधों को अधिक हानि पहुँचाता है जिससे पौधे गिरने और लटकने लगते है और पौधा मुरझा जाता है इस रोग का पता लगाने के लिए ooze test किया जाता है।
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उपाय (Management)
इसके उपचार के लिए नर्सरी में पौधों की निगरानी करना एवं बीजों का बीज उपचार करना शामिल होता है इसके साथ साथ आप खेतो में स्ट्रेप्टोसाइक्लिंन और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को मिलकर स्प्रे करे।
धान का टुग्रो रोग (Tungro Disease of Rice)
यह धान का रोग वायरस द्वारा होता है जो की ग्रीन वायरस हॉपर के माध्यम से फैलता है।इसका पता लगाने के लिए ELISA test किया जाता है इस रोग में पौधे का विकास रुक जाता है और पौधे की पत्तियों का सिरा और किनारा पीला पड़ने लगता है।इसमें फूल देरी से आते है।
उपाय (Management)
इसके उपाय के लिए किटी या हॉपर का नियंत्रण करना चाहिये एवं उनकी निगरानी करनी चाहिए ।
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