बरसात के मौसम में सब्ज़ियो का बाजारू मूल्य आसमान छूने लगते है जिसमे से टमाटर का मूल्य सबसे अधिक जाता है जिससे की किसान भाई बरसात में टमाटर की खेती करके अधिक लाभ कमा सकते है।लेकिन बरसात के मौसम में टमाटर की खेती करना आसान नहीं है। बरसाती टमाटर की खेती में कुछ खास बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है, जिससे आप अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं हम आपको बरसात में टमाटर की खेती करने की विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिससे आप आसानी से टमाटर की खेती करके लाभ कमा सख्ते है।
बरसाती टमाटर की खेती करने की विधि
मिट्टी का चुनाव
टमाटर की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव अधिक महत्वपूर्ण है इसमें मिट्टी का pH मान 7-8.5 होना चाहिए और मिट्टी अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए जिसके जल भराव की समस्या का सामना ना करना पड़े।और मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होनी चाहिए जिससे कि पौधे की वृद्धि आसानी से हो सके। आप रोपाई से पहले अपने खेत की मिट्टी की जाँच करवा सकते है।जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगाया जा सकता है।
किस्म का चुनाव
बरसात में टमाटर की खेती करने कि लिए बरसाती किस्मों का चुनाव करे देशी किस्मों का चुनाव ना करे।ऐसे क़िस्म चुने जिसमे रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो और जो जल्दी पकने वाली फसल हो।जिसमे पानी मात्रा कम लगे।नीचे दिये गए फ़सलो का उपयोग आप बरसात के समय रोपण के लिए इस्तेमाल कर सकते है
बरसाती टमाटर की किस्में
- पूसा रक्षक
- हाइब्रिड 12
- रत्ना
- अर्क प्रभात
- सिंघा 6
- अर्का रक्षक F1
- प्रताप F1
बुवाई और रोपाई
बरसात के मौसम में टमाटर की बुआई जून से जुलाई के माह में की जाती है।सामान्य बुआई के लिए टमाटर की बीज दर 400-500 gm/hec लगती है।जबकि संकर बीजों की बीज दर 100gm/hec लगती है।।टमाटर की नर्सरी बनाने के लिए 250 वर्ग मीटर क्षत्र फल होना चाहिए। बीजों की बुआई के बाद 20-25 दिन में पौधे तैयार हो जाते है जब पौधे की ऊचाई 3-4 ईंच बढ़ जाये तो उसको खेती में जाकर रोप देना चाहिए। रोपाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 1-2 फीट के बीच होनी चाहिए जिससे पौधे की वृद्धि आसानी से हो सके।
खाद और सिंचाई
खेत की तैयारी करते समय या उससे पहले खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट को मिला दे और खेत को कुछ समय के लिए छोड़ दे। यह क्रिया रोपण के एक माह पहले करनी चाहिए।जिससे की खाद खेतों में अच्छी तरह मिल जाये और मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाए।और रोपाई के समय पौधों को नाइट्रोजन ,फ़ास्पोरस और पोटाश की उचित मात्रा में पौधों को प्रदान करना चाहिए।
रोपण के तुरंत बाद पौधों को हल्की मात्रा में पानी देना चाहिए जिससे पौधे अच्छे से मिट्टी में जम जाए।और समय समय में पौधों की उचित मात्रा में पानी देना चाहिए।लेकिन खेती में जल भराव की समस्या से बचाव करना चाहिए क्योंकि जल भराव के कारण पौधे की जड़ सड़ने लगते है।जिससे पौधा मारने या गिरने लगता है।
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खरपतवार नियंत्रण
टमाटर के खेती में खरपतवार से बचाव के लिए रोपाई से पहले माल्चिंग सीट का खेती में उपयोग करना चाहिए।जिससे खरपतवार के उगने को नियंत्रण किया जा सकता है और साथ ही साथ मिट्टी में नमी बनाए रखने में मददत करता है।इसके साथ-साथ आप खरपतवार को हाथो से निराई-गुड़ाई करके आसानी से निकल सकते है।और जटिल खरपतवारों को निकालने के लिए खरपतवारनाशक का उपयोग के आसानी से नियंत्रण के सकते है।
टमाटर की कटाई और भंडारण
टमाटर की रोपाई के 70-80 दिन बाद फसल की पैदावार शुरू हो जाती है जिससे पौधे टमाटर लगने लगते है फलो की कटाई लाल या पीली अवस्था में फलों को परिपक्वता के अनुसार की जाती है टमाटर की कटाई के बाद इसको 10-13 डिग्री सेल्सियस तापमान में 2-4 सप्ताह तक संग्रहीत किया जा सकता है।
FAQ
बरसात में टमाटर की खेती कैसे करें
दिये बाई ब्लॉग पोस्ट में बरसात में टमाटर की खेती कैसे करें की पूरी जानकारी दी गई है।
बरसात में टमाटर की नर्सरी कैसे तैयार करें
नर्सरी ट्रे में आप आसानी से टमाटर की नर्सरी तैयार कर सकते है
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