भारत विश्व में फलोत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान (73.4 मिलियिन टन) पर है। हमारे देश में मुख्य फलों की उत्पादकता अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम है, जबकि इनकी उत्पादन क्षमता बहुत अधिक है और इसे बढ़ाने की नितांत आवश्यकता है। तेजी से हो रहे शहरीकरण, भू-खण्डन और औद्योगिकीकरण के कारण बागवानी के लिये उपलब्ध भूमि क्षेत्र दिन प्रतिदिन कम होने के कारण ही सघन बागवानी की प्रौद्योगिकी का मानकीकरण हुआ ।
प्रति इकाई क्षेत्रफल में अधिकाधिक फलवृक्षों का समावेश करके और मिट्टी की उत्पादन क्षमता प्रभावित न करके उससे लगातार अधिकाधिक और अच्छी गुणवत्ता वाली फसल लेना ही “सघन बागवानी” कहलाता है।
आम्रपाली आम की सघन बागवानी
भारत में आम की मुख्य किस्मों को 10-15 मीटर की दूरी पर ही लगाना पड़ता है, जिससे केवल 70 से 100 पौधे ही प्रति हेक्टेयर में लगाये जा सकते हैं इन पौधों के बीच में अधिक दूरी होने के कारण काफी जगह खाली रह जाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने आम की आम्रपाली और मल्लिका दो अति उत्तम संकर किस्में विकसित की हैं। आम्रपाली के विकास के साथ ही साथ आम की सघन वागवानी का जन्म हुआ क्योंकि बोनी किस्म होने के कारण यह सघन वागवानी के लिये अति उत्तम पाई गई है। आम्रपाली की सघन वागवानी निम्नलिखित है-
• आम्रपाली आम की सघन बागवानी के लिये ‘स्व स्थाने’ वाग लगायें जिसके लिये अप्रैल-मई में 60X60X60 सेमी आकार के (2.5X2.5 मीटर दूरी और तिकोनी विधि में) गड्ढे खोद लें । मई-जून में इन गड्ढों को मिट्टी और गोबर खाद की 1:1 मात्रा के साथ भर दें। जुलाई में प्रत्येक गड्ढे में किसी भी आम की ताजी निकाली हुई 3-4 गुठलियां (मूलवृंत के लिये) लगा दें। अगले वर्ष जून-जुलाई में इन गुठलियों से निकाली कोपलें विनियर कलम करने योग्य हो जाएगीं। विनियर कलम के बाद यदि प्रत्येक गड्ढे में एक से अधिक पौधों में फुटाव आ जाये तो उन्हें निकाल दें।
• सांकुर तैयार करने के लिये ‘आम्रपाली’ का स्वस्थ पौधा छांटे। 4 से 6 माह पुरानी टहनी से ही अच्छी सांकुर तैयार करें। मार्च-अप्रैल या जुलाई-अगस्त में विनियर कलम करें। जब कलम में अच्छा फुटाव ले लें तो मूलवृंत के ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे काट दें • आम्रपाली के पौधों से पहले तीन साल तक कोई फसल न लें और जब नया फुटाव आये तो उसे मरोड़ दें। ऐसा करने से पौधा घना और झाड़ीनुमा यनेगा और भविष्य में अच्छा फल देगा।
पौधों को स्वस्थ और हरा भरा रखने के लिये उन्हें समयानुसार पानी, खाद और उर्वरक दें
• आम्रपाली में बहुत फल लगते हैं, जिससे उनके आकार में भिन्नता आ जाती है। अतः अप्रैल में फलों की छंटाई करें।
• आम्रपाली आम की सघन बागवानी 12-14 वर्षों तक तो सही फसल देते हैं उसके बाद उत्पादन में कमी आने लगती है क्योंकि पौधों की टहनियां एक दूसरे पेड़ों पर चढ़ जाती हैं, जिससे सूर्य की पर्याप्त रोशनी नहीं मिल पाती है। इस समस्या से बचने के लिये पौधों की काट-छांट करने की सलाह दी जाती है। कांट-छांट हमेशा फल तुड़ाई के बाद जुलाई में करें। ऐसा करने पर सघन वाग से 20-25 वर्षों तक आसानी से लाभदायक फसल ली जा सकती है।
उपरोक्त वातों कसे ध्यान में रखकर यदि आम्रपाली की सघन बागवानी की जाये तो वागवान आम्रपाली से प्रत्येक वर्ष लगातार 2.5 से 3 गुना अधिक फसल ले सकते हैं, जिससे आम को बागवानी और भी अधिक आय वाला व्यवसाय बन सकता है
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आम्रपाली आम की सघन बागवानी के लाभ
सघन बागवानी के निम्नलिखित लाभ होने के कारण इसे विदेशों में काफी बड़े स्तर पर अपनाया गया है-
* फलोत्पादन व उत्पादकता में आश्चर्यजनक वृद्धि
* शुरू के वर्षों में ही कुछ न कुछ फलत मिलना
* पेड़ों के बीच खाली जगह का भरपूर उपयोग
* खरपतवारों की संख्या में अधिकाधिक कमी
* खांद और उर्वरकों का अधिकाधिक एवं समुचित उपयोग
* सिंचाई के जल का समुचित उपयोग
* फलों की गुणवत्ता में आश्चर्यजनक सुधार
FAQ
आम्रपाली आम का पेड़ कितने दिन में फल देता है
वैसे तो ये फल आगे साल से देने लगता है। लेकिन इसमें अच्छे फल प्राप्त करने के लिए दो से तीन साल फल रोक देते है।
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