सोयाबीन बुवाई के 30 दिन बाद करें यह 4 जरूरी काम, मिलगी जबरदस्त ग्रोथ और पैदावार!

सोयाबीन बुवाई के 30 दिन बाद करें यह 4 जरूरी काम, मिलगी जबरदस्त ग्रोथ और पैदावार!

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सोयाबीन बुवाई के 30 दिन बाद करें यह 4 जरूरी काम, मिलगी जबरदस्त ग्रोथ और पैदावार!

अक्सर हमारे किसान भाई बहुत मेहनत करते हैं अच्छे किस्म का  बीज लाते हैं खेती की तैयारी में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं समय पर बीज की बुवाई करते हैं एवं शुरुआती 15 से 20 दिन तक फसल बहुत अच्छी दिखाई देती है हरी भरी दिखाई देती है लेकिन जैसे ही एक महीने बाद पौधों में अचानक से वृद्धि रुक जाती है पौधे में पीलापन आ जाता है एवं खेतों में खरपतवार धीरे-धीरे हावी होना शुरू हो जाते हैं जिससे किसान परेशान हो जाता है एवं विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करने लगता है इस परेशानी को दूर करने के लिए आज हम आपको इस लेख मैं बताएंगे की सोयाबीन बुवाई के 30 दिन बाद करें यह 4 जरूरी काम,  करने पर आपके सोयाबीन पर कैसे वृद्धि होगी।

खरपतवार नियंत्रण से बढ़ेगी सोयाबीन की वृद्धि 

खरपतवार फसल के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं यह पौधे के साथ पोषक तत्व पानी हवा और धूप के साथ प्रतियोगिता करते हैं यह 20 से 45 दिन की अवस्था में फसल के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं जो पौधे के वृद्धि को रोकते हैं उसके नियंत्रण के लिए निदाई/ गुड़ाई या हाथों से खरपतवार निकाल सकते हैं निदाई/ गुड़ाई से मिट्टी में हवा का संचार भी बढ़ता है। इसके साथ-साथ अगर आपके मजदूर की कमी है तो आप  रासायनिक स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं जिसमें आप

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (कंजुरू, महकुआ):

इमाज़ेथापायर 10% SL — 350-400ml/एकड़ (150–200 लीटर पानी में)

संकरी पत्ती वाले खरपतवार (सावा, दूब घास):

क्विजालोफॉपएथाइल 5% EC — 350-400ml/एकड़

दोनों प्रकार के खरपतवार हों:

कंबीनेशन वीडिसाइड (बाजार में ब्रांडेड मिल जाते हैं)

पोषक तत्वों का सही प्रबंधन करें 30 दिन बाद

फसलों को 30 दिन की अवस्था पर पोषक तत्व देने का समय होता है क्योंकि इसमें शाखाएं फुल फलियां बनने की शुरुआत होती है जिससे फसलों में पोषक  तत्वों की आवश्यकता बढ़ने लगती है ऐसे में फसलों को बूस्ट डोसे की जरूरत पड़ती है किस पोषक तत्व में घुलनशील NPK 19:19:19 या 20:20:20 ,  100 ग्राम प्रति पंप में दें,पंप 15 लीटर वाला होना चाहिए, इसके साथ में सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे बोरोन,जिंक,आयरन जैसे मिश्रित माइक्रोन्यूट्रिएंट को 100 ग्राम प्रति पंप मिलाकर एवं अमोनियम एसिड या ह्यूमिक एसिड बायो स्टूमिलेंट  दे।

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फूल और फनीयों की संख्या बढ़ाने के उपाय

फूल और फलों की संख्या बढ़ाने के लिए आप  प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का उपयोग कर सकते हैं एक ऐसा कदम है जिसे बहुत कम किसान भाई अपनाते हैं लेकिन जो अपनाते हैं उनकी फसल दूसरों से हमेशा अलग दिखाई देती है प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर एक ऐसा रसायन है जो पौधे के अंदर प्राकृतिक रूप से बनने वाली हार्मोन की नकल करता है और पौधे की ग्रोथ में मनचाहे   दिशा मैं ले जाता है यह पौधे ऊपर की तरह बेवजह लंबा ना भागे बल्कि साइड में ज्यादा से ज्यादा शाखा निकले फुटाव करें पौधे जितना झाड़ी बनेगा उसमें उतनी ही ज्यादा गांठ है यानी की  नोड होगी और हर गांठ से फूल और फिर फलिया निकलेगी, इसलिए बाजार में कई तरह के ग्रोथ प्रमोटर उपलब्ध है

आप समुद्री शैवाल के अर्क यानी कि सीवीड एक्सट्रैक्ट पर आधारित टॉनिक का इस्तेमाल कर सकते हैं यह पूरी तरह जैविक है और पौधों को तनाव से बचने के लिए और फुटाव को भी प्रोत्साहित करने के लिए इसका इस्तेमाल लगभग 250 से 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ करें अगर आप थोड़ा और एडवांस जाना चाहते हैं

तो आप चमत्कारी या लियोसिन यानी कि  क्रोलोमेक्वाट क्लोराइड का 50% एस एल का इस्तेमाल कर सकते हैं यह पौधे की  ऊपरी बढ़त को हल्का सा रोक देता है उसकी ऊर्जा को साइड की शाखों में निकलने में लगता है इससे पौधा घना हो जाता है और उसमें फूल की संख्या बढ़ जाती है लेकिन इसके प्रयोग  करते समय मात्राज का विशेष ध्यान दें इसकी मात्रा 150 से 200 मल प्रति एकड़ से ज्यादा ना रखें

कीट और रोगों से फसल की सुरक्षा करें समय पर

स्वस्थ फसल कीट और बीमारी को अपनी और आकर्षित करती है जिसमें कीड़ों का प्रकोप बढ़ने लगता है जिसमें गार्डन बीटल , तना मक्खी और शुरुआती इल्ली का प्रकोप शुरू में दिखता है इसके लिए किसान भाइयों को हर 2 से 3 दिन में खेतों में चक्कर लगाना होगा एवं पौधे की निगरानी समय समय में करना चाहिए अगर किसी भी पौधे का ऊपरी हिस्सा मुरझाया हुआ दिखे तो उसे बीच से फाड़ कर देखें कहीं अंदर  तना मक्खी का लार्वा तो नहीं, अगर किसी पौधे के तना पर दो गोल रिंग बने हुए दिखाएं और उसके ऊपर का हिस्सा सूख रहा है तो यह ग्रह यह गार्डन  बीटल का कमाल है इसी तरह पत्तों पर पीले धब्बे  दिखना पीला मोजेस वायरस यानी कि  येलो  मोजैक वायरस का संकेत होता है जो सफेद मक्खी से  फैलता  है।

अगर आपको इन बीमारियों के शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत निरंतर के उपाय करें अगर कीट कम है तो प्रभावित पौधों को हाथ से  नष्ट कर दें और अगर प्रकोप ज्यादा है तो कीटनाशक का प्रयोग करें सफेद मक्खी के लिए थायोमेंथोरिक्स  ये इमेडक्रोपॉपिड इमिडाक्लोप्रिड का स्प्रे करें इल्ली के लिए   इमामेक्टिन बेंजोएट का स्प्रे करें कोशिश करें जब आप पोषण तत्व और टॉनिक का स्प्रे कर रहे हैं।

तो उसी में एक हल्का कीटनाशक जैसा कि थियामेथोक्सम 25% डब्लू डी जी की 50 से 60 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ मिला लें इससे जो भी रस  चूसने वाले कीट होंगे वह नियंत्रण हो जाएंगे और आपकी फसल सुरक्षित हो जाएगी, इसे हम एकीकृत प्रबंधन कहते हैं जिसमें एक ही स्प्रे में कई समस्या का समाधान कर लेते हैं जिस समय और मजदूरी दोनों बचती है।

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