अगर कर रहे हैं कपास की खेती, तो ये बातें ज़रूर जाने है नहीं तो होगा नुकसान!

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कपास की खेती
कपास की उन्नत, सफल और वैज्ञानिक खेती में आपका मोस्ट वेलकम है। आज की इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम  से कपास की खेती की में  जानकारी शेयर करने वाले हैं। इसमें हम जानेंगे कि कपास की खेती के लिए अनुकूल समय क्या है, खेत की तैयारी कैसे करनी चाहिए, किस प्रकार की मिट्टी और जलवायु चाहिए, तापमान कितना उपयुक्त है, और कौन-कौन सी इंप्रूव हाइब्रिड वैरायटीज हैं जिनका उत्पादन शानदार होता है।

कपास की खेती की जानकारी 

भूमि, जलवायु और अनुकूल समय

सबसे पहले बात करते हैं कपास की बुआई के अनुकूल समय की। अप्रैल, मई और जून के महीने कपास की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। कुछ वैरायटी ऐसी होती हैं जिन्हें जून में भी लगाया जा सकता है। तापमान की बात करें तो 18°C से लेकर 35-36°C तक का तापमान कपास के लिए अनुकूल रहता है। मिट्टी की बात करें तो पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच वाली दोमट और काली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। जल निकास अच्छा हो और जल धारण क्षमता अधिक हो तो उत्पादन और भी बेहतर मिलेगा।

भारत में कपास की स्थिति

कपास खरीफ सीजन की एक नगदी फसल है जिसे नरमा, कॉटन और ‘वाइट गोल्ड’ के नाम से भी जाना जाता है। भारत विश्व में सबसे अधिक कपास उत्पादन करने वाला देश है, जहां लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती की जाती है। गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

वैरायटी का चयन

कपास की खेती की प्रमुख श्रेणियों में बीटी कॉटन, संकर कपास और देसी कपास आती हैं। उत्पादन के लिए अच्छी बीटी वैरायटी जैसे राशि 773, राशि 776, राशि 650, यूएसए एग्रीसीड्स की 51 और अजय 555 उपयुक्त मानी जाती हैं।

कपास की फसल का जीवन चक्र

कपास की फसल का जीवन चक्र बुआई से लेकर हार्वेस्टिंग तक 150 से 165 दिनों का होता है। यह समयावधि वैरायटी के आधार पर थोड़ी बहुत घट-बढ़ सकती है।

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उत्पादन की संभावनाएं और समस्याएं

प्रति एकड़ 14 से 16 क्विंटल तक उत्पादन संभव है, लेकिन हाल के वर्षों में बीमारियों और फंगस के कारण उत्पादन में गिरावट देखी गई है। इस समस्याओं का समाधान सस्ते और प्रभावी तरीकों से जानेंगे।

खेत की तैयारी और बुआई

सबसे पहले गहराई से हल चलाकर खेत की पहली जुताई करें। फिर कल्टीवेटर और रोटावेटर से खेत को समतल बनाएं। एक एकड़ पर 3–4 ट्रॉली पकी हुई देसी गोबर की खाद फैलाकर मिला दें। बुआई के लिए 800–900 ग्राम बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। पौधे से पौधे की दूरी 2 फीट और लाइन से लाइन की दूरी 3 फीट रखें।

बीज बुआई तकनीक

हर गड्ढे में 15 ग्राम डीएपी, 15 ग्राम एसएसपी और 15 ग्राम एमओपी का मिश्रण डालें और फिर बीज डालें। इससे सीधे खाद बीज के पास मिलती है और परिणाम काफी अच्छा आता है।

खाद का शेड्यूल

1. पहली खाद (35–40 दिन): 40 किलोग्राम यूरिया + 5 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ जड़ों के पास देकर सिंचाई करें।

2. दूसरी खाद (65–70 दिन): 30 किलो यूरिया + 1 बोरी SSP पाउडर + 8 किलो सागरिका मिलाकर सिंचाई करें।

3. तीसरी खाद (100–120 दिन): 5 किलो मैग्नीशियम सल्फेट + 5 किलो माइक्रोन्यूट्रिएंट्स + 4 किलो एमओपी 05234 मिलाकर सिंचाई करें।

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कपास की खेती न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि कपड़ा उद्योग की रीढ़ भी मानी जाती है। यदि आधुनिक तकनीकों, समय पर सिंचाई, उन्नत बीजों और कीट नियंत्रण उपायों को अपनाया जाए, तो कपास की पैदावार और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि संभव है। सही जानकारी और मेहनत से कपास की खेती एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है।

FAQ

कपास की खेती किस मिट्टी में होती है

कपास की खेती गहरी काली मिट्टी में होती है।

कपास की खेती कहां होती है।

महाराष्ट्र ,गुजरात ,तेलंगाना ,मध्य प्रदेश ,राजस्थान ,हरियाणा और पंजाब ,कर्नाटक , उत्तर प्रदेश

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