
नमस्कार किसान मित्रों, आज हम बात करने वाले हैं उस एक गलती के बारे में जो ज्यादातर किसान भाई सोयाबीन कीबुवाई के 25 से 30 दिन बाद करते हैं। यह वही नाजुक समय होता है जब आपका सोयाबीन का पौधा यह तय करता है कि उसे 50 फलियां बनानी है या 150। अगर आपने इस समय पौधे को वही दिया जो उसे चाहिए, तो यकीन मानिए आपके खेत में फलियों की ऐसी बाढ़ आएगी कि आप गिन नहीं पाएंगे।
आज मैं आपको कोई साधारण खाद नहीं बताने वाला, बल्कि एक शक्तिशाली स्प्रे कॉम्बिनेशन बताने जा रहा हूं, जिसे अगर आपने सही समय पर यानी बुवाई के 25 से 30 दिन के बीच इस्तेमाल कर लिया, तो आपके पड़ोसी भी आपसे आपकी फसल का राज पूछने आएंगे। में आपको सिर्फ सोयाबीन में खाद का नाम नहीं बल्कि उसे घोलने का सही तरीका भी बताऊंगा, जिसमें 90% किसान गलती करते हैं।
25 से 30 दिन का समय इतना चमत्कारी क्यों है? देखिए, अभी तक पौधा सिर्फ बढ़ रहा था, पत्तियां और जड़ें बना रहा था। लेकिन अब उसके अंदर की वृद्धि बदल रहे होती है। वह वेजिटेटिव ग्रोथ से रिप्रोडक्टिव ग्रोथ की ओर जा रहा है। जैसे एक धावक दौड़ के आखिरी राउंड के लिए अपनी पूरी ताकत बचाता है, वैसे ही पौधा भी फूल और फली बनाने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा इसी समय लगाता है। अगर इस मोड़ पर उसे सही पोषण मिल जाए, तो वह दोगुनी शाखाएं निकालेगा और हर शाखा पर फूलों के गुच्छे लगेंगे, जो फलियों में बदलेंगे।
अब जानते हैं उस बूस्टर डोज के सीक्रेट फार्मूले को। इसमें हमें चार चीजों का एक स्प्रे घोल तैयार करना है और स्प्रे करना है, जमीन में नहीं डालना है, क्योंकि हमें तुरंत असर चाहिए।
सोयाबीन में खाद की मात्रा
1. एनपीके (NPK)
यह पौधे का मुख्य भोजन है जो उसकी संतुलित बढ़वार में मदद करता है। हमें चाहिए घुलनशील एनपीके – 19:19:19 या20:20:20। मात्रा रहेगी 1 किलो प्रति एकड़, जिसे 150-200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें।
2. सल्फर (Sulphur)
यह सोयाबीन के लिए अमृत समान है क्योंकि यह दानों में तेल और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है। इसके लिए 80% WDG सल्फर 500 ग्राम प्रति एकड़ लें। यह फफूंदनाशक की तरह भी काम करता है और पौधे को बीमारियों से बचाता है।
3. चिलेटेड जिंक (Chelated Zinc)
यह सामान्य जिंक नहीं बल्कि चिलेटेड फॉर्म का होना चाहिए, जो पौधे को 10 गुना तेजी से मिलता है। यह हार्मोन बनाने में मदद करता है जिससे नई शाखाएं निकलती हैं। मात्रा: 150 ग्राम प्रति एकड़।
4. बोरॉन (Boron)
यह वह गुप्त हथियार है जिसे किसान अक्सर भूल जाते हैं। यह फूलों को झड़ने से बचाता है और परागण की क्रिया को सफल बनाता है, जिससे हर फूल से फली बनती है। इसके लिए लें 20% बोरॉन 150 ग्राम प्रति एकड़।
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सोयाबीन में स्प्रे घोल तैयार करने का सही तरीका
यह वह हिस्सा है जहां सबसे ज्यादा किसान गलती करते हैं। वे सब कुछ एक साथ स्प्रे टंकी में डाल देते हैं, जिससे घोल फट जाता है और असर नहीं होता। आपको करना क्या है:
- चार अलग-अलग बाल्टियां लें।
- पहली बाल्टी में एनपीके घोलें, दूसरी में सल्फर, तीसरी में चिलेटेड जिंक और चौथी में बोरॉन।
- जब चारों घोल अच्छी तरह पानी में घुल जाएं, तब इन्हें एक-एक करके स्प्रे टंकी में डालें जिसमें पहले से 150-200 लीटर साफ पानी हो।
- सबसे पहले एनपीके वाला घोल डालें, डंडे से हिलाएं। फिर सल्फर, फिर जिंक, और फिर बोरॉन का घोल डालते जाएं और हर बार हिलाते जाएं।
इस घोल में 50-60 मिलीलीटर चिपको या स्टिकर जरूर मिलाएं ताकि दवा पत्तों पर चिपकी रहे और बारिश होने पर भी न धुले।
सोयाबीन में खाद स्प्रे का सही समय और परिस्थिति
- सुबह 11 बजे से पहले या शाम 4 बजे के बाद स्प्रे करें।
- तेज धूप में स्प्रे बिल्कुल न करें।
- खेत में हल्की नमी होनी चाहिए। सूखे खेत में स्प्रे न करें।

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