Tomato farming Tips : टमाटर में फ्लावरिंग स्टेज आने पर इन बातों का रखे ध्यान होगी अधिक

Tomato farming Tips

आज हम आपको टमाटर की फसल जो फिलहाल फ्लावरिंग स्टेज में है उसके बारे में बात करेंगे । अगर आपकी फसल भी इस अवस्था में है तो यह जानकारी आपके लिए बहुत काम की है। फ्लावरिंग बढ़ाने के लिए सिर्फ न्यूट्रिशन पर ध्यान देना काफी नहीं होता। कई बार फूल बनने के बाद झड़ जाते हैं, इसलिए आपको इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

पौधों की वर्तमान अवस्था और न्यूट्रिशन की ज़रूरत

इस समय पौधे में एक स्टेम से तीन-चार डालियां निकल चुकी हैं और हर डाली पर दो-तीन ट्रस यानी फूलों के गुच्छे बने हुए हैं। इस स्टेज पर पौधे को सबसे ज्यादा फास्फोरस की ज़रूरत होती है। बेसल डोज़ के अलावा अब फास्फोरस को वाटर सॉल्युबल रूप में देना ज़रूरी है। इसके साथ ही ज़िंक की भी आवश्यकता होती है जिससे फूलों की संख्या बढ़ती है। तीसरा तत्व है बोरॉन, जिसे अमीनो एसिड और ज़िंक के साथ ऊपर से स्प्रे के रूप में दिया जा सकता है।Tomato farming Tips : टमाटर में फ्लावरिंग स्टेज आने पर इन बातों का रखे ध्यान होगी अधिक

नाइट्रोजन प्रबंधन

फास्फोरस को ज़मीन में देना चाहिए, वहीं नाइट्रोजन की भी कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए अमोनियम सल्फेट, यूरिया या नाइट्रेट स्वरूप में नाइट्रोजन दिया जा सकता है। इस तरह का टोटल न्यूट्रिशन मैनेजमेंट करने से पौधा स्वस्थ रहता है और फ्लावरिंग बेहतर होती है।

रोग और फफूंद नियंत्रण

इस अवस्था में पौधे में किसी भी तरह के दाग-धब्बे नहीं दिखने चाहिए, इसका मतलब है कि फफूंद का नियंत्रण सही से हुआ है। हालांकि, जैसे ही फ्रूट सेटिंग शुरू होती है तो फफूंद का प्रकोप बढ़ सकता है। इसलिए इस समय एक फफूंदनाशक का छिड़काव करना ज़रूरी है।

कीट प्रबंधन

फिलहाल खेत में बड़े कीट नहीं दिख रहे हैं, लेकिन आगे चलकर मोलो मसी (एफिड), सफेद मक्खी और थ्रिप्स जैसे चूसक कीट आने की संभावना रहती है। इन कीटों पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक है क्योंकि इनकी वजह से फ्लावरिंग और फल सेटिंग पर सीधा असर पड़ता है।

फूल झड़ने की समस्या और समाधान

कई किसान यह समस्या देखते हैं कि फूल बहुत अधिक गिर जाते हैं। इसके तीन कारण हो सकते हैं।अगर लगातार बादल छाए रहते हैं और सूर्यप्रकाश नहीं मिलता तो यह फिजियोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है। इसके लिए अल्फा नेप्थिटिस (45 मि.ली. प्रति 15 लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए।अगर आकाश साफ है और पत्तियों पर दाग-धब्बे दिखते हैं तो यह फफूंद की समस्या हो सकती है।

अगर दोनों स्थितियां नहीं हैं, तो यह बोरॉन की कमी का लक्षण है। ऐसे में बोरॉन और कैल्शियम दोनों को साथ में देना चाहिए।

फूल से फल बनने की अवस्था और पानी की भूमिका

फूल अवस्था से फल बनने तक पौधा एक साथ तीन काम करता है – नई पत्तियां बनाना, फूल लाना और पुराने फूलों को फल में बदलना। इसका मतलब है कि इस समय पौधे को सबसे ज्यादा पानी की ज़रूरत होती है। पत्ते और फल दोनों को पर्याप्त पानी चाहिए। जैसे-जैसे गर्मी और दिन की लंबाई बढ़ेगी, पानी की मांग और भी बढ़ जाएगी। इसलिए ड्रिप सिंचाई का शेड्यूल धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।

पानी की कमी के लक्षण और समाधान

पानी का स्ट्रेस पहचानने के लिए पौधे की नई बढ़त (सूट्स) को देखें। अगर उस पर बाल जैसे स्ट्रक्चर मुर्जाए हुए लगते हैं तो यह प्रारंभिक लक्षण है। दूसरा लक्षण है पत्तों का बीड़ी की तरह रोल होना। तीसरे चरण में पत्ते पीले होकर मुरझाने लगते हैं, खासकर दोपहर 3 बजे के बाद। अगर यह लक्षण दिखें तो समझ लीजिए कि पौधा पानी की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में तुरंत पानी के साथ सिलिकॉन, कैल्शियम, पोटाश और मैग्नीशियम देना चाहिए। ये तत्व पौधे में नमी बनाए रखने में मदद करते हैं।

इस अवस्था में प्रमुख कीट और रोग

फूल से फल बनने के समय पौधे की पूरी ऊर्जा फलों में जाती है, जिससे पत्तियां कमजोर हो जाती हैं। इस वजह से काली और पीली एफिड, सफेद मक्खी, थ्रिप्स और फल छेदक इल्ली जैसे कीट आ सकते हैं। इन पर निगरानी रखने के लिए फेरोमोन ट्रैप और स्टिकी ट्रैप लगाना ज़रूरी है। इसी तरह लेट ब्लाइट और अर्ली ब्लाइट जैसे रोग भी इस समय तेजी से फैलते हैं। इसलिए प्रिकॉशनरी फफूंदनाशक का छिड़काव करना बहुत जरूरी है।

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