Marigold Farming : गेंदा फूल की खेती कैसे बन रही है किसानों के लिए मुनाफे का बड़ा जरिया

गेंदा फूल की खेती
गेंदा फूल की खेती यानी
Marigold Farming किसानी के लिए लाभदायक फसल है देखा जाए तो गेंदा फूल की खेती यही सही समय है इस समय किसानो की  अच्छे दाम मिल जाते है।  में इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आपको बताऊंगा – खेती कब और कैसे करनी चाहिए, बेहतरीन किस्में कौन-सी हैं, पौधारोपण की दूरी, नर्सरी तैयार करने की विधि, खाद और सिंचाई प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण, उत्पादन लागत, मुनाफ़ा और पूरी लाइफ साइकिल। तो आइए शुरू करते हैं विस्तार से।

गेंदा फूल की खेती कैसे करे

गेंदा फूल की खेती  का समय (Timing)

हर फसल के लिए सही समय बहुत जरूरी है। गेंदा की खेती आप 12 महीने कर सकते हैं, लेकिन अच्छे बाजार भाव के लिए समय का ध्यान रखना अनिवार्य है।

  • बरसात की खेती: जुलाई से अगस्त
  • गर्मी की खेती: दिसंबर से जनवरी
    इन महीनों में रोपाई करने पर फूल की कटाई त्योहार और शादी-ब्याह के समय आती है, जिससे बाजार भाव काफी अच्छे मिलते हैं।

भूमि और खेत की तैयारी

गेंदा फूल की खेती सभी प्रकार की भूमि में हो सकती है, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए काली दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.2 होना चाहिए। यदि 7.5 से अधिक हो तो 50 किलो जिप्सम का उपयोग करना चाहिए। खेत की तैयारी के लिए 1–2 बार जुताई, डलिया बनाना और मिट्टी को भुरभुरी करना जरूरी है ताकि पौधों का विकास अच्छा हो।

जलवायु (Climate)

गेंदा फूल की खेती 15°C से 35°C तापमान पर अच्छी तरह हो सकती है। यदि तापमान 35°C से अधिक हो जाए तो फ्लावरिंग स्टेज पर समस्या आती है। सामान्य नमी और ठंडी जलवायु इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है।

उन्नत किस्में (Varieties)

गेंदा की बेहतरीन और हाइब्रिड किस्में हैं:

  • Sindhu Seeds की Tennis Ball Yellow और Orange Ball F1
  • Rasi Seeds की Supreme Yellow
  • African Marigold Double Orange
  • Kolkata Marigold
    इसके अलावा ICAR द्वारा विकसित किस्में –
    Pusa Narangi, Pusa Basanti, Pusa Bahar भी बहुत लोकप्रिय हैं।

पौध संख्या और बीज दर

एक एकड़ में लगभग 12,000–13,000 पौधे लगाए जाते हैं। इसके लिए 12,000 बीजों की आवश्यकता होती है। 1,000 बीज की कीमत लगभग ₹2,150–₹2,200 तक होती है।

खाद एवं खेत की तैयारी

खेत तैयार करते समय 3–4 ट्रॉली गोबर की खाद डालें। इसके साथ 50 किलो DAP और 50 किलो SSP मिलाएं। बेड की चौड़ाई 2.5 फीट, ऊँचाई 1–1.5 फीट और दूरी 3 फीट रखें। 25 माइक्रॉन मोटाई का मल्चिंग पेपर उपयोग करें और 2 इंच के छेद बनाएं।

नर्सरी प्रबंधन

नर्सरी तैयार करने के लिए प्लास्टिक पॉट या ट्रे में नारियल की खाद और कम्पोस्ट डालें। हर सेल में एक बीज डालें। नर्सरी पर कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल और स्टिकी ट्रैप लगाएं। ग्रीन नेट के नीचे नर्सरी रखें और जरूरत अनुसार सिंचाई करें। 25–27 दिन में पौधे रोपाई योग्य हो जाते हैं।

पौधारोपण (Transplanting)

लाइन से लाइन की दूरी 3–4 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1–1.5 फीट रखें। 3 इंच गहराई पर पौधा लगाएं। रोपाई शाम के समय करें और पौधा सीधा लगाकर पहली सिंचाई जरूर करें।

सिंचाई प्रबंधन

  • Flood irrigation: 10 दिन के अंतराल पर
  • Drip irrigation: 2 दिन के अंतराल पर 2 घंटे तक
    सिंचाई पौधे की जरूरत और मौसम के अनुसार करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण के लिए 25–30 दिन और 65–70 दिन पर निराई-गुड़ाई करें। इससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और फूल अधिक आते हैं।

कीट एवं रोग प्रबंधन

गेंदा फूल की खेती पर प्रमुख कीट और रोग हैं:

  • कीट: सफेद मक्खी, कटरपिलर, रेड माइट्स, लीफ माइनररोग: डंपिंग ऑफ, कॉलर रॉट, पाउडरी मिल्ड्यू, पट्टी ढाबा रोगनियंत्रण के लिए पीले और नीले स्टिकी ट्रैप लगाएं,
  • दवाओं का कम से कम प्रयोग करें, और आवश्यकता अनुसार फफूंदनाशक/कीटनाशक का छिड़काव करें।

खाद और उर्वरक प्रबंधन

  1. पहली खाद (25–30 दिन): 5 किलो जिंक सल्फेट + 30 किलो यूरिया + माइक्रोन्यूट्रिएंट्स
  2. दूसरी खाद (45–50 दिन): 15 किलो अमोनियम सल्फेट + 10 किलो ह्यूमिक एसिड + 500 ग्राम बोरोन
  3. तीसरी खाद (70–80 दिन): 10 किलो सागरिका दानेदार + 40 किलो यूरिया

ड्रिप विधि से खेती करने वाले किसान पानी में घुलनशील उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।

कटाई और लाइफ साइकिल

पहली कटाई 55–60 दिन में शुरू हो जाती है। फसल का पूरा चक्र 100–120 दिन (लगभग 4 महीने) का होता है। फूल की मांग हमेशा बनी रहती है, खासकर त्योहार और शादी-ब्याह के समय।

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लागत और मुनाफ़ा

एक एकड़ में कुल लागत लगभग ₹40,000–₹50,000 आती है। उत्पादन 10–12 टन तक होता है। बाजार भाव ₹30–₹60 प्रति किलो तक मिल सकता है। सभी खर्च काटकर किसान भाई प्रति एकड़ लगभग ₹2 लाख तक का शुद्ध मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

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