चकोरी की खेती
चकोरी का पौधा मूली की तरह दिखने वाली एक जड़ वाली फसल होती है।जिसको कासनी के नाम से भी जानी जाती है ये एक बहुवर्षीय फसल वाला पौधा होता है।जिसकी खेती किसान वर्ष भर आसानी से कर सकते है। चकोरी के पौधे में मुख्यत पत्तो और जड़ का उपयोग किया जाता है जिसमे पत्तो का उपयोग चारे के रूप में और जड़ो का उपयोग कॉफी उद्योग में किया जाता है। जिसके कारण चकोरी की माँग बाजार में अधिक हो गयी है।जिससे किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है। चकोरी की खेती (chakori ki kheti )करने में कम लागत के साथ अधिक लाभ कमाया जा सकता है।इसकी खेती करने में कम से कम लगभग 10-12 हजार की लागत आती है।ये किसी भी मौसम में आसानी से लगायी जा सकती है।और इसमें किट एवं बीमारी की समस्या कम होती है।
चकोरी की खेती के चरण
चकोरी की खेती के लिए मिट्टी एवं जलवायु
चकोरी की खेती तो बारह माह आसानी से कर सकते है। लेकिन इसकी खेती के लिए आदर्श तापमान 20 डिग्री सेल्सियस माना जाता है जिसमे चकोरी की वृद्धि आसानी से की जा सकती हैं।चकोरी जड़ वाली फसल होने के कारण इसको अच्छी जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।जिसमे रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है।जिसके लिए pH मान 6.5-8.5 होनी चाहिए।खेत में जलभराव की समस्या से बचाव करना चाहिए।
चकोरी की खेती की बीज एवं बुआई
इसकी खेती के लिए बीज आपको बाज़ार से मिल सकते है उसके साथ-साथ जो किसान कांट्रैक्ट फार्मिंग करते है उनको कंपनी के माध्यम से बीज दिया जाता है। इसकी खेती के लिए एक एकड़ के लिए 350-400 ग्राम बीज की आवश्यकता लगती है।
चकोरी की बीज की बुआई करना आसान होता है आप खेत की मिट्टी को तोड़ के या भुर-भूरा करके खेत को तैयार करे और खेत में सामान्य रूप से उसके बीज का छिड़काव करके आप आसानी से बुआई कर सकते है या फिर दूसरे तरीक़े में चार से पाच फीट चौड़ी खेतों में बेड तैयार करे और उसके ऊपर बीजों की बुआई करे।खेती में बीजों की बुआई के लिए उपयुक्त समय अक्टूबर – नवम्बर अच्छा माना जाता है।
चकोरी की खेती के लिए खाद एवं सिंचाई
चकोरी की खेती करने से पहले जब खेत की तैयारी की जाती है।तब इसमें पाँच से छै ट्रॉली अच्छी गोबर की खाद देनी चाहिए एक एकड़ खेत में।इसके बाद फसल की वृद्धि को बढ़ाने के लिए इसमें नाइट्रोजन रूपी खाद देनी चाहिए जिसमे आप यूरिया का उपयोग कर सकते है।
चकोरी की फसल को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसकी पहले सिंचाई बुआई के बाद करनी चाहिए। जिससे अंकुरण तेज़ी से हो सके।इस फसल में तीन से चार सिंचाई की आवश्यकता होती। अधिक मात्रा में पानी देने से बचना चाहिए एवं खेती में जल भराव की समस्या को नियंत्रण करना चाहिए।
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चकोरी की कटाई
चकोरी की फसल लगभग 120-150 दिन में तैयार हो जाती है।पत्ती और जड़ की परिपक्वता की स्थिति के अनुसार इसकी कटाई करनी चाहिए।पत्ती की कटाई आप आसानी से कर सकते हो लेकिन जड़ की कटाई के लिए कुदाल या फावड़े की सहायता से ऊपर की मिट्टी को अलग करना चाहिए।जिससे आसानी से जड़ को बाहर निकाला सकते है।
चकोरी फसल का उपयोग मुख्य रूप से कॉफी बनाने के लिए किया जाता है।चकोरी के जड़ को काट के सुखाया जाता है।और उसका पाउडर बनाके कॉफी में मिलाया जाता है। कंपनी में इसके पाउडर की मात्रा 20- 50 % के बीच मिलाया जाता है।बड़ी बड़ी कंपनी किसानों के साथ कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग करके चकोरी का उत्पादन करवाती है।जिसमे किसानों को कंपनी द्वारा बीज प्राप्त करवाए जाते है। इस फसल में कम लागत में किसान को अधिक उत्पादन प्राप्त होती है।इस फसल में किट एवं रोग की समस्या कम होती है।जिससे इसकी पैदावार में गिरावट नहीं होता है। और इसमें रखकराव की समस्या नहीं होती है। इस फसल की खेती से किसानों अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।इसमें किसानों को एक क्विंटल उत्पादन में लगभग 500-600 प्रति क्विंटल रेट मिलता है।
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