
धान में पहली खाद क्यों है सबसे ज़रूरी?

धान की फसल में अच्छी पैदावार पाने के लिए सबसे जरूरी होता है धान में पहली खाद , क्योंकि शुरू में दिया गया खाद ही यह तय करता है कि एक पौधे में कितने कल्ले बनेंगे। ज्यादा कल्ले मतलब ज्यादा बालियां और ज्यादा बालियां मतलब अधिक पैदावार। इसलिए पहले खाद का सही चयन, सही मात्रा, सही समय और सही तरीका अपनाना बहुत जरूरी है। यदि किसी एक पौधे से 100 तक कल्ले निकलते हैं, तो उसका पूरा आधार पहले खाद पर ही निर्भर करता है।
नर्सरी से रुपाई तक का सही समय और उसका प्रभाव
जब किसान नर्सरी की तैयारी करता है, तो नर्सरी तैयार करने के 20 से 25 दिन के अंदर ही रुपाई कर लेनी चाहिए, ताकि पौधे परिपक्व न हो जाएं और उनमें वनस्पतिक वृद्धि बनी रहे। जब समय पर रुपाई की जाती है तो उसके बाद के लगभग 40 दिनों में पौधे अधिक से अधिक कल्ले निकाल सकते हैं। इस 40 दिन के भीतर ही सभी जरूरी खाद देना अत्यंत आवश्यक है।
यूरिया की भूमिका और सही समय पर देना क्यों जरूरी है?
शुरुआत में दिया जाने वाला सबसे प्रमुख खाद यूरिया होता है, जिसमें 46% नाइट्रोजन होता है। यह रूट ग्रोथ, सफेद जड़ों के विकास और पौधों की हरियाली बढ़ाने में मदद करता है। इससे पौधा खुद के लिए खाना बनाता है और वही खाना ऊर्जा के रूप में उपयोग करके अधिक से अधिक कल्ले बनाता है।
यूरिया को तीन चरणों में देना चाहिए—पहली बार खेत की लेवलिंग या पडलिंग के समय, दूसरी बार रुपाई के 20 से 25 दिन बाद और तीसरी बार बालियां निकलने से पहले देना चाहिए । प्रत्येक बार 20 से 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ देना चाहिए। लेकिन ध्यान रखें कि यूरिया देने के समय खेत में पानी खड़ा न हो क्योंकि इससे नाइट्रोजन पानी में घुलकर पौधे तक नहीं पहुंच पाता।
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डीएपी: फॉस्फोरस की सही मात्रा और समय पर उपयोग का महत्व
इसके बाद दूसरा आवश्यक खाद डीएपीडीएपी है, जिसमें 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। डीएपी को खेत में रुपाई से पहले ही मिला देना चाहिए ताकि यह मिट्टी में मिलकर पौधों की जड़ों तक पहुंच सके और रुपाई के बाद पौधे उसे आसानी से अवशोषित कर सकें। फॉस्फोरस पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और उनके विकास में सहायता करता है, जिससे वनस्पतिक वृद्धि और फुटाव बेहतर होता है। साथ ही, फॉस्फोरस से पौधा खाना बनाने की ऊर्जा प्राप्त करता है। यदि डीएपी को देर से दिया जाए तो यह पौधों में जिंक के साथ संघर्ष पैदा करता है जिससे फॉस्फोरस का अवशोषण नहीं हो पाता, इसलिए समय पर देना जरूरी है।
पोटाश: पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और गुणवत्ता का रक्षक
तीसरा जरूरी खाद पोटाश होता है, जो भले ही महंगा हो लेकिन पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और उन्हें तनाव से लड़ने में मदद करता है। विशेषकर बरसात के समय जब खेत में ज्यादा पानी भर जाता है, तब यह पौधों को सुरक्षित रखने का काम करता है और फसल की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है। इसलिए किसान भाइयों को यह समझना चाहिए कि पहला खाद ही फसल की नींव होता है और यदि इसे सही समय पर, सही मात्रा में और सही तरीके से दिया जाए तो धान की अच्छी पैदावार निश्चित रूप से प्राप्त की जा सकती है।
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