गेहूं की खेती
गेहूं की खेती का समय आ रहा है इसके साथ-साथ धान की कटाई भी शुरू हो गई है धान की कटाई के बाद किसान भाई गेहूं खेती की तैयारी में शुरू हो जाएंगे लेकिन गेहूं की खेती शुरू करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना जरूरी है जिससे कि किसान भाइयों को नुकसान का सामने न करना पड़े एवं उनके उत्पादन में वृद्धि हो सके। शुरू करने से पहले किसान भाइयों को खेत की तैयारी मिट्टी जलवायु, बुआई का समय एवं खेत में जल प्रबंधन आदि इन बातों के ऊपर बेहद ध्यान देना जरूरी है उसके साथ-साथ किस को उन्नत बीजों का चयन करना जरूरी है जिससे कि उनके उत्पादन में वृद्धि हो सके एवं कम बीमारी एवं कीटों का प्रकोप लगे।
गेहूं की खेती के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
- गेहूं की खेती अक्टूबर से नवंबर माह में शुरू की जाती है इसकी खेती के लिए उपयुक्त तापमान 21 से 28 डिग्री सेल्सियस माना जाता है एवं इसके लिए चिकनी दोमट या दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है एवं मध्यम जल धारण क्षमता वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए आदर्श मानी जाती है इसकी मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
- गेहूं की बुवाई करने के लिए सर्वोत्तम समय नवंबर का पहला मा माना जाता है जबकि वर्षा आधारित गेहूं को अक्टूबर के दूसरे माह से बोया जा सकता है।
- गेहूं की खेती के लिए बीज दर यदि आप ब्रॉडकास्टिंग विधि से करते हैं तो 150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज लगता है यदि आप सीड ड्रिल की सहायता से बीच की बुवाई करते हैं तो यह बीज दर 80 से 100 किलोग्राम तक होती है।
- गेहूं की खेती में सिंचाई की प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है गेहूं में सिंचाई की क्रांतिक अवस्था 6 प्रकार की होती है जिसमें से मुख्य रूप से शीर्ष जेड जमाव या CRI सिंचाई की अवस्था मुख्य मानी जाती है यह गेहूं की बुवाई के बीच से 25 दिन बाद की अवस्था होती है जिसमें तने से भूमि की सतह के पास निकलने वाली जेड शीर्ष जड़े कहलाती है जिसकी वृद्धि के लिए यह अवस्था महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- गेहूं की खेती में खरपतवारों की समस्या आती है जिसमें से अधिकतर गेहूं से नमक खरपतवार ज्यादा देखने को मिलता है इसके साथ-साथ खेतों में बथुआ, कृष्णनील सैंजी एवं हिरण कुड़ी जैसे खरपतवार भी खेतों में पनपने लगते हैं।
- गेहूं की वृद्धि के लिए खेतों में किसान गोबर की खाद 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर डालते हैं इसके अलावा नाइट्रोजन 100 से 150 किलो और फास्फोरस 60 किलोग्राम एवं पोटेशियम की मात्रा की 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर स से खेतों में देते हैं जिससे पौधे की वृद्धि अच्छे से हो सके।
- इसके अलावा किसान खेतों में पौधे की बीमारी एवं कीटों के नियंत्रण के लिए दवाई एवं कीटनाशक का उपयोग करें जिससे कि फसल की हानि ना हो एवं भारी नुकसान से बचा जा सके।
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इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान करके ही किसानों को गेहूं की खेती की शुरुआत करनी है एवं पौधों की फसल की निगरानी समय-समय में करते रहने हैं जिससे कि किसान की फसल को हानि ना,पहुंचे एवं फसल की वृद्धि एवं उत्पादन में गिरावट ना हो, किसान कम से कम रसायन उर्वरक का उपयोग करे और अधिक से अधिक जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए खेती में क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता लंबे समय तक बने रहती है और फसल के उत्पादन भी अधिक होता है।
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