गेंदा की खेती
हमारे देश में गेंदें का फूल विविध रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इसे प्रायः भरपूर उपज देने वाली विविध आयामी लोकप्रिय पुष्प फसल कहा जाता है। सामान्यतः पूरे देश में इसकी व्यावसायिक खेती खुले फूलों के लिए की जाती है। इसकी फसल बहु फसल प्रणाली में अन्य कृषि व बागवानी फसलों के चक्र में आसानी से लगाया जा सकता है। इसे टमाटर मूली जैसी फसलों के खेत की मेड़ों पर मिश्रित फसल के रूप मे उगा सकते हैं।
गेंदें का पौधा लवणता तथा अन्य प्रतिकूल अवस्थाओं के प्रति कुछ सहनशील है। हमारे प्रदेश की जलवायु के अनुसार गेंदा पूरे वर्ष लगाया जा सकता है। एक नियमित समय अंतराल पर बुवाई और रोपाई करते रहने से गेंदे के फूल साल भर प्राप्त किए जा सकते है।
गेंदा का वानस्पतिक नाम :- टेगेट्स इरेक्टा
कुल:- ऐस्टेरसी
गेंदा का फूल कैसे उगाए पूरी जानकारी
उन्नत किस्में पूसा नारंगी
फूल बड़े आकार के नारंगी रंग के घुमावदार पंखुड़ी वाले, मध्यम उंचाई के पौधे, 125 से 135 दिनों में पुष्पन, 45 से 60 दिन तक पुष्पन, 25से 30 टन फूल प्रति हेक्टेयर उपज, तथा 100 से 125 किलो बीज प्राप्त किया जा सकता है।
जलवायु एवं भूमि
यह उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय दशाओं में पूरे वर्ष लगाया जा सकता है। इसे खुली धूप वाले स्थानों में लगाया जाना चाहिए। छायावाले स्थानों में गेंदें की खेती अच्छी नहीं होती है। सभी प्रकार की भूमि में इसकी खेती की जा सकती है। दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। खेत की 3-4 जुताई कर खेत की मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए। फिर खेत समतल करना चाहिए। और जलनिकास की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। खेत की तैयारी करते समय मिट्टी में 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी सड़ी गोबर की खाद मिला लेना चाहिऐ।
बीज दर एवं नर्सरी
गेंदा की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा 800 ग्राम से 1 किलो होनी चाहिए। बोनी पूर्व काबेंडाजिम 2,5 ग्राम / किलो से वीज उपचार कर लेना चाहिए।। 1मी0 चौड़ी 15 सेमी उठी हुई 3-4मी लधी क्यारी बनाकर गोबर की खाद मिलाकर तैयारी की जाती है फिर इसमें 0.2 प्रतिशत केप्टान का घोल डालना चाहिए। क्यारी में 2 सेमी की गहराई पर 8 सेमी की दूरी पर बीज बोना चाहिए फिर छनी हुई खाद की पतली परत से ढक देना चाहिए। प्रतिदिन हजारे की सहायता से सिंचाई करना चाहिए।
बोनी का समय
सामान्य रूप से तीन बार फसल ली जाती है :-
बोनी का समय लगाने का समय फूल आने का समय मध्य जून मध्य जुलाई वर्षा के अंत तक मध्य सितंबर मध्य अक्टूबर शरद ऋतु जनवरी-फरवरी फरवरी-मार्च ग्रीष्म ऋतु
गेंदा की खेती में बीज बोनी के एक माह बाद रोपाई की जाती है। कतार से कतार की दूरी 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 40 सेमी रखी जाती नमी आवश्यक है। है। रोपाई के समय भूमि में
निष्कालियना रोपाई के 45 दिन बाद पौधों के उपरी सिरों को काट देना चाहिए, ऐसा करने से अधिक शाखऐं आती है और फूल भी अधिक आते हैं।
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सिंचाई
गेंदा की खेती में रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें। इसके बाद भूमि के अनुसार 10-15 दिन के अंतराल और ग्रीष्म काल में 3-5 दिन में सिंचाई करें। फसल में गहरी सिंचाई कभी नहीं करना चाहिए।
खाद उर्वरक
गेंदा की खेती में गोबर की खाद 7-8 टन प्रति हेक्टेयर बोनी के 15 दिन पूर्व मिलाऐ। 200 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फास्फोरस तथा 100 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर देनी चाहिए। नाइट्रोजन दो भागों खेत की तैयारी के समय और आधी मात्रा 30-35 दिन बाद देनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण :
गेंदा की खेती में खरपतवार नियंत्रित करने के लिए सिंचाई के बाद 30-35 दिन में पहली निराई गुड़ाई क खरपतवार निकालें। आवश्यकतानुसार दूसरी निंदाई करें।
फसल सुरक्षा :
प्रमुख कीट
लीफ माइनर का प्रकोप दिखने पर मोनोकोटोफास या फास्फोमिडान का छिड़काव करें रोमिल इल्ली, रेड स्पाइडर माइटस, और पत्ती का फुदका मुख्य कीट हैं। जिनका प्रकोप होने पर आवश्यकतानुसार नियंत्रण करें। 30-35 दिन पर केलथेन 2 मिली / ली का छिड़काव करें। गेलाथियान 2 मिली/ली का 15 दिन के अंतर पर दो बार छिड़काव करें।
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प्रमुख रोग:
गेंदा की खेती में प्रमुख रूप से आद्रगलन व कालर राट रोग नर्सरी में लगता है इसके नियंत्रण हेतु बीज उपचार मृदा उपचार करें। इसके अलावा विषाणु रोग भी लगता है इसके नियंत्रण के लिए प्रभावित पौधा उखाड़कर अलग करें व चूसक कीटों के नियंत्रण हेतु रासायनिक दवाओं का छिड़काव करें। एक अन्य प्रमुख रोग भभुतिया रोग होने पर केरेथेन या घुलनशील सल्फर का छिड़काव करें। कभी कभी इस फसल में अंगमारी या पत्ती धब्बा रोग आता है इसके उपचार हेतु कापर आक्सीक्लोराइड, और कार्बेडाजिम का छिड़काव करें।
तुड़ाई:
पौध लगाने के 55 से 60 दिन में फूल खिलने लगते हैं। फूल जब पूरी तरह से खिल जाऐ तब सुबह या सायंकाल में तोड़ने चाहिऐ। तोड़ने के बाद गीले बोरे या बांस के टोकरी में रखना चाहिए। उपाय एक हेक्टेयर क्षेत्र से 20 से 22 टन फूल प्राप्त होते हैं।