मक्के की फसल बर्बाद कर रही है ये घास! किसान अभी जानें इससे छुटकारा पाने का तरीका

मक्के की फसल में खरपतवार नियंत्रण

मक्के की फसल

 

मक्के की फसल पर सबसे जिद्दी खरपतवार है बररू, जिसे बांसिया घास के नाम से भी जाना जाता है। यह आसानी से कंट्रोल नहीं होती है। क्योंकि मक्का और बररू दोनों के पत्ते लगभग एक जैसे होते हैं, इसलिए यह सामान्य दवाओं से प्रभावित नहीं होती। बहुत सारी एवरेज दवाइयां इस पर असर नहीं करतीं।

हमने कई कंपनियों के अलग-अलग प्रोडक्ट्स जैसे बास कंपनी की “बनट कंप्लीट” (Atrazine + Topramezone), बायर की लॉस, ट्रैक्टर ब्रांड की “टोरी”, JU की “Juclear”, और सैंटा की “Claris Extra Orange” का भी उपयोग करके देखा, लेकिन बररू घास आसानी से कंट्रोल नहीं हुआ।

तो, मक्के की फसल में बररू को कंट्रोल करने के लिए हम एक शानदार कॉम्बिनेशन लेकर आए हैं। यदि सही समय पर इस कॉम्बिनेशन को एक एकड़ में स्प्रे किया जाए, तो लगभग ₹1000 से ₹1500 खर्च आएगा और बररू घास आसानी से नियंत्रित हो जाएगा।

अब जानते हैं कि इस कॉम्बिनेशन में क्या-क्या मिलाना है:

  • टिंजर (Doper Amazon 33.6% SC – BSF कंपनी का प्रोडक्ट): 30 ml प्रति एकड़
  • एट्राजिन 50% (किसी भी अच्छी कंपनी का): 650 ग्राम
  • यूरिया: 2 किलोग्राम
  • डिटर्जेंट पाउडर: 800 ग्राम से 1 किलोग्राम
  • ध्यान दें: सभी चीजों को अलग-अलग घोलना है, और फिर 200 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर एक एकड़ में स्प्रे करना है।

स्प्रे का सही समय क्या है

  • बररू घास जब 2-3 पत्ती की अवस्था में हो
  • या फिर मक्के की बुवाई के 15 से 18 दिन के भीतर
  • अगर बररू 3-4 इंच से बड़ा हो गया है, तो यह तरीका असरदार नहीं रहेगा, फिर केवल मजदूरों द्वारा निकालना ही विकल्प है।

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स्प्रे करते समय सावधानियां:

  • 3 घंटे तक बारिश नहीं होनी चाहिए
  • खेत में हल्की नमी होनी चाहिए, पूरी तरह सूखा न हो
  • दवा के ब आ सकता है, लेकिन घबराएं नहीं, बाद में खाद से फसल फिर से हरी हो जाएगी
  • अगर विश्वास नहीं हो रहा, तो पहले आधा एकड़ या एक बीघा में डेमो करके देख लें
  • यह कॉम्बिनेशन ना सिर्फ बररू बल्कि अन्य चौड़ी और संकरी पत्ती वाले खरपतवारों को भी आसानी से कंट्रोल करता है।
  • यदि आपके पास देसी जुगाड़ जैसे पंजा, डोरा या कुलपा है, तो उसका भी उपयोग करके बिना रसायन के खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे मिट्टी भी चढ़ती है और फसल की ग्रोथ भी अच्छी होती है।
  • इस प्रकार मक्के की फसल पर बररू घास को इस विधि से प्रभावी तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है।

FAQs

 मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण क्यों जरूरी है?

उत्तर: मक्का की प्रारंभिक वृद्धि के दौरान खरपतवार पोषक तत्व, पानी और धूप के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे पैदावार में भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए शुरुआत में ही खरपतवार नियंत्रण जरूरी होता है।

मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण कब करें?

उत्तर: मक्का बोने के 2 से 3 दिन बाद या फसल के उगने के 15 से 20 दिन के अंदर खरपतवार नियंत्रण सबसे प्रभावी रहता है। यही समय होता है जब खरपतवार तेजी से उगते हैं।

 बररू (बांसिया घास) जैसी जिद्दी खरपतवार को कैसे नियंत्रित करें?

उत्तर: बररू घास पर सामान्य दवाएं असर नहीं करतीं, इसलिए इसके लिए टेम्बोट्रायोन या टॉपरेमेजोन जैसे विशेष खरपतवारनाशी की जरूरत होती है। इनका प्रयोग फसल के 15-20 दिन बाद करें जब खरपतवार 3-4 पत्तों की अवस्था में हों।

क्या मक्का की फसल में दो बार खरपतवार नाशक डाल सकते हैं?

उत्तर: हां, आप एक बार प्री-इमरजेंस (बुवाई के बाद) और दूसरी बार पोस्ट-इमरजेंस (फसल उगने के बाद) दवा डाल सकते हैं। इससे दोहरी सुरक्षा मिलती है।

 

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