रागी की खेती

खरीफ के मौसम में अधिकतर किसान धान की खेती करना पसंद करते हैं लेकिन धान की खेती में किसानों की अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसमें पौधे की नर्सरी लगाना रोपाई पानी की कमी के मुख्य कारण शामिल है एवं धान की फसल तैयार होने के बाद भी किसानों को कम MSP प्रदान की जाती है। इसलिए आज हम किसान भाइयों को बताएंगे एक ऐसी फसल के बारे में जिसकी MSP धान से अधिक है एवं बाजार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रही है।
रागी की खेती क्यों करे
रागी एक परंपरागत फसल है इससे मोटे अनाज की श्रेणी में रखा गया है यह अनाज कम पानी कम लागत वाली फसल होती है जिसके कारण इसकी खेती के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन किया जा रहा है रागी में अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे यह सेहत के लिए फायदेमंद होती है।
जिसके कारण सरकार ने इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट 2023 में बनाया एवं किसान को मोटे अनाज की खेती करने के लिए जागरूक किया साथ ही साथ सरकार द्वारा मोटे अनाजों की अन्य अनाज की तुलना में अधिक MSP बताई गई जो की आज के समय में 4290 प्रति क्विंटल तक तय की गई है इससे किसान को अधिक मुनाफा प्राप्त हो सके साथ ही साथ मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ सके।
रागी की खेती की जानकारी
रागी की खेती के लिए गर्म एवं सुख जलवायु अच्छा माना जाता है एवं इसके लिए उपयुक्त तापमान 26 से 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए एवं खेत में जल भर की समस्या नहीं होनी चाहिए। रागी की खेती की तैयारी के लिए सबसे पहले खेत में दो बार जुताई कर ले ताकि मिट्टी अच्छे से भुर भूरी हो जाए। एवं खेत में 5 से 6 टन प्रति एकड़ में गोबर की खाद डालकर खेत में फिर से जुताई कर दें। ताकि खाद अच्छी तरह खेत में मिल जाए।
- खेत की तैयारी के बाद खेत में बुआई से पहले बीज को 5 से 6 घंटे के लिए पानी में भिगो के रख दें ताकि अंकुरण होने में आसानी हो इसके बाद बीच को उपचार करने के लिए 4 ग्राम थायरम 4 ग्राम कैप्टन और 2 ग्राम कार्बेंडाजिम का प्रति किलोग्राम बीज के लिए बीज उपचार करें औपचारिक बीज को डिबिलर की सहायता से या छिड़काव या लाइन बनाकर खेतों में बुवाई कर सकते हैं।
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- रागी की खेती में फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन बीज बुआई के बाद इसमें तुरंत पानी डालें एवं इसके बाद दूसरा पानी तीन दिन बाद एवं तीसरा पानी सात दिन बाद दें।वैसे तो मुख्यतः इसमें पांच पानी की आवश्यकता होती है पौधे को अधिक पानी देने से बचाए एवं खेत में जल भराव की समस्या से बचें।
- खाद और उर्वरक के लिए इसमें 52 किलो यूरिया 80 किलो SSP एवं म्यूरेट आफ पोटाश 14 किलो प्रति एकड़ की दर से दे सकते हैं। साथ ही साथ N:P:K के 60:30 :20 के अनुपात से इसमें आप दे सकते हैं
- फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए दो से तीन दिन के अंतराल पर हाथों से निराई गुड़ाई कराए । और साथ ही प्री-इमरजेंसी खरपतवार जैसे Iआइसोप्रोटूरॉन एवं ऑक्सीफ्लोरोफेन जैसे खरपतवारनाशी का छिड़काव करें एवं 25 से 30 दिन बाद पोस्ट इमरजेंसी खरपतवार जैसे की 24D इमरजेंसी का उपयोग करे l।
- रागी की खेती में फसल आमतौर पर 120 से 130 दिन में पक जाती है लेकिन यह किस्म के आधार पर अलग-अलग भी हो सकती है इसकी कटाई के बाद इसे दो से तीन दिन तक धूप में सुखाया जाता है इसके बाद इसकी थ्रेसिन की जाती है थ्रेसिन करने के बाद इस पैक कर दिया जाता है।
- एवं मंडी में बेचने के लिए तैयार हो जाती है सरकार द्वारा 2024-25 में रागी की न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP को 4290 रुपए प्रति क्विंटल की गई है जो कि धान के MSP से कहीं ज्यादा है किसान भाइयों इसकी खेती में कम लागत और इसका विक्रय मूल अधिक होने के कारण इसमें दो से तीन गुना अधिक मुनाफा पाना संभव है