स्पिरुलिना की खेती

आज हम बात करने वाले हैं स्पिरुलिन की खेती के बारे में। क्या आप यकीन करेंगे कि सिर्फ 2000 स्क्वायर मीटर एरिया पर फार्मिंग करके सालाना ₹1 करोड़ तक कमाया जा सकता है? जी हां, यह मुमकिन है और कई लोग इससे अच्छा खासा पैसा कमा भी रहे हैं। ये सब हो रहा है स्पिरुलिना फार्मिंग से।
स्पिरुलिना की खेती क्या है?
स्पिरुलिना एक नीली हरी शैवाल है, जिसे सुपर फूड माना जाता है और यह दवाइयां बनाने में भी इस्तेमाल होता है। इसी कारण से इसकी खेती की जाती है और यह खेती बहुत मुनाफेदार है।
स्पिरुलिना की खेती में इंफ्रास्ट्रक्चर और ज़मीन की ज़रूरत
स्पिरुलिना की खेती की सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए आपको बड़ा फार्म या भारी इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत नहीं है। बस एक तालाब चाहिए जो आप अपने घर या फार्म पर बना सकते हैं। ये तालाब कच्चा या पक्का हो सकता है। इसमें शुद्ध पानी की ज़रूरत होती है, लेकिन अगर आपके पास शुद्ध पानी नहीं है तो आप मीठा पानी + एनपीके या बेकिंग सोडा मिलाकर पीएच लेवल 10 तक ला सकते हैं।
स्पिरुलिना की खेती में टेम्परेचर और ग्रोइंग कंडीशंस
स्पिरुलिना की खेती के लिए आइडियल टेम्परेचर 25°C से 35°C के बीच होना चाहिए। अगर टेम्परेचर 35°C से 37°C तक हो, तो और भी अच्छा होता है। चूंकि यह न्यूट्रिशनल फार्मिंग है, इसलिए इसमें मिट्टी की बजाय पानी में खेती होती है। फार्मिंग टैंक के अंदर होती है और आप किसी भी तरह की ज़मीन पर काम कर सकते हैं उपजाऊ भूमि की ज़रूरत नहीं होती।

न्यूट्रिशनल बेनिफिट्स
स्पिरुलिना प्लांट की तरह ऑक्सीजन लेता है, दिन में CO₂ लेता है और रात में ऑक्सीजन देता है। इसमें बीटा-कैरोटीन होता है जो विजन और ब्रेन डेवलपमेंट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह विटामिन K और अन्य कई न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है,इसलिए इसे प्रोटीन फूड सप्लीमेंट भी कहा जाता है।
यह एक मल्टी न्यूट्रिशनल फूड सप्लीमेंट है जिसमें 65–67% तक प्रोटीन होता है। यह एक नेचुरल और आसानी से डाइजेस्ट होने वाला प्लांट प्रोटीन है, जो एनिमल प्रोटीन से बेहतर होता है। 6 ग्राम टैबलेट या पाउडर के रूप में डेली इनटेक से शरीर की न्यूट्रिशनल रिक्वायरमेंट पूरी हो जाती है।
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स्पिरुलिना का बायप्रोडक्ट्स और उपयोग
स्पिरुलिना से कई बायप्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। इसमें मसाले मिलाकर टेस्ट बढ़ाया जा सकता है और इसकी स्मेल को सप्रेस किया जा सकता है। जिम जाने वाले लोग इसे 20 ग्राम तक डेली कंज्यूम कर सकते हैं। WHO भी कहता है कि स्पिरुलिना एक बेहतरीन विकल्प है मैलन्यूट्रिशन को दूर करने के लिए खासकर विकासशील देशों के बच्चों में।
स्पिरुलिना की हार्वेस्टिंग और प्रोसेसिंग
स्पिरुलिना को हम रोज़ 50% तक हार्वेस्ट कर सकते हैं। बाकी 50% टैंक में वापस डाल दिया जाता है ताकि स्पिरुलिना को दोगुना करने की प्रक्रिया चलती रहे। यह साइकल 25 दिन या महीनों तक चलाती रहती है। बेसिक प्रोसेस में स्पेशल क्लॉथ से हार्वेस्टिंग, वॉशिंग, 60°C पर ड्राइंग और हाई-क्वालिटी स्पिरुलिना निकालना शामिल होता है।
स्पिरुलिना की खेती से कम एरिया में ज्यादा मुनाफा
छोटे एरिया में कल्टिवेशन करने के बावजूद स्पिरुलिना की खेती से हाई इनकम मिलती है। अगर आपके एरिया में पानी साफ़ है तो नीली हरी शैवाल करना और भी आसान और प्रॉफिटेबल होगा।
मार्केट और कमाई
इंडियन मार्केट में 1 किलो स्पिरुलिना पाउडर ₹1000 तक बिकता है। स्पिरुलिना की खेती में कोई लैंड या कैपिटल लिमिट नहीं होती। प्रोडक्शन और प्रॉफिट आपके रिसोर्सेज, लैंड और कैपिटल पर डिपेंड करता है।

